पनाह में तेरी इतना सुकून क्यूं है गालों पे लाली और आंखे नम क्यूं है। पनाह में तेरी इतना सुकून क्यूं है गालों पे लाली और आंखे नम क्यूं है।
कोमल हृदय और तुम्हारे सृजित अस्त्वित्व् में बन के कामिल साजन तुम्हारा। कोमल हृदय और तुम्हारे सृजित अस्त्वित्व् में बन के कामिल साजन तुम्हारा।
अस्त्वित्व् , बदन, लफ्ज , साँस, स्मृति,अभिलाषा प्रेम , जीवन और शाम सुबह। अस्त्वित्व् , बदन, लफ्ज , साँस, स्मृति,अभिलाषा प्रेम , जीवन और शाम सुबह।
हमदोनों है पूर्ण एकदूसरे के साथ ये आकाश ये कायनात साक्ष्य में रचते इतिहास की गाथा हमा हमदोनों है पूर्ण एकदूसरे के साथ ये आकाश ये कायनात साक्ष्य में रचते इतिहास की...
माँ ! मैं धन्य हुई। माँ ! मैं धन्य हुई।
ये जीवन जीना भी तो एक आदत ही है. तो कहीं ये प्रेम की भी तो आदत नहीं हो गई है हमें ! ये जीवन जीना भी तो एक आदत ही है. तो कहीं ये प्रेम की भी तो आदत नहीं हो गई है हम...